न्यूजीलैंड के कप्तान मिच सैंटनर अपनी टीम के प्रदर्शन से बेहद “प्रसन्न” हैं, ये तो उन्होंने साफ़ कह दिया। लेकिन उनकी “प्रसन्नता” में कहीं ना कहीं पाकिस्तान की “दुर्दशा” भी छुपी हुई है, जिस पर वो खुलकर कुछ नहीं बोले। उनकी बातों से ऐसा लगता है जैसे पाकिस्तान की टीम उनके लिए “कठपुतली” बनी हुई है, जिसे वो जब चाहें, जैसे चाहें, नचा सकते हैं।
सैंटनर ने कहा, “हमें जिस तरह से खेला, उससे खुश हैं। पाकिस्तान ने अच्छी गेंदबाजी की, इसलिए बीच के ओवरों में लैथम और यंग की साझेदारी महत्वपूर्ण रही।” वाह! मतलब पाकिस्तान ने “अच्छी” गेंदबाजी की, और फिर भी न्यूज़ीलैंड ने पहाड़ जैसा स्कोर खड़ा कर दिया? ये तो वही बात हुई, “दूध भी पिया और गिलास भी तोड़ दिया।”
“और फिर जीपी आए और उन्होंने धुआंधार पारी खेली,” सैंटनर ने आगे कहा। जीपी मतलब ग्लेन फिलिप्स। लगता है फिलिप्स को उन्होंने “बैटिंग मशीन” समझ लिया है, जो आते ही रनों की “बारिश” कर देते हैं। “हमारा लक्ष्य 260 के आसपास था, लेकिन खुशी है कि हम डेथ ओवर्स में और अधिक रन बना सके।” मतलब, 260 का टारगेट तो बहाना था, असली “खेल” तो डेथ ओवर्स में ही खेला गया, जहाँ पाकिस्तान की “कमज़ोरी” जगज़ाहिर है।
“हमें जो स्कोर मिला, उसके बाद पहले 10 ओवरों में हमारी गेंदबाजी शानदार रही,” सैंटनर ने अपनी टीम की तारीफ़ के पुल बांधते हुए कहा। “और फिर हम उन पर दबाव बना सके, रन रेट का दबाव बनाए रखा और विकेट हासिल किए।” वाह! लगता है पाकिस्तान की टीम को उन्होंने “ट्रेनिंग ग्राउंड” समझ लिया है, जहाँ वो अपनी मर्ज़ी से “प्रैक्टिस” कर रहे हैं, और विकेट भी “अपनी मर्ज़ी” से ले रहे हैं।
फिलिप्स के कैच के बारे में उन्होंने कहा, “अब हम उनसे इसकी उम्मीद करते हैं, और रिज़वान का विकेट बहुत बड़ा था।” मतलब, फिलिप्स तो “सुपरमैन” हैं, और रिज़वान का विकेट उनके लिए “सोने की चिड़िया” जैसा था।
पिछली त्रिकोणीय श्रृंखला के महत्व के बारे में सैंटनर ने कहा, “परिस्थितियों और विपक्ष को समझना महत्वपूर्ण था। यहां आपको थोड़ी छोटी लेंथ पर गेंदबाजी करनी होती है और स्पिनरों के लिए, धीमी गेंदबाजी करना ज़रूरी है।” मतलब, पाकिस्तान की “कमज़ोरी” उन्हें पहले से पता थी, और उन्होंने उसी का फ़ायदा उठाया।
“यह जीत दिखाती है कि अगर हम बल्ले से कड़ी मेहनत कर सकते हैं, तो हम गेंद से भी दबाव बना सकते हैं।” वाह! ये तो ऐसी बात हुई जैसे पाकिस्तान की टीम को “कड़ी मेहनत” करने की ज़रूरत ही नहीं। न्यूज़ीलैंड ने “कड़ी मेहनत” की, और जीत गई। सीधी सी बात।
कुल मिलाकर, सैंटनर की बातों से साफ़ है कि न्यूज़ीलैंड ने पाकिस्तान की हर “कमज़ोरी” को पहचान लिया है, और उसी का फ़ायदा उठाया है। और पाकिस्तान? वो अभी भी अपनी “पुरानी गलतियों” और “बहानों” में ही खोया हुआ है।
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