लगता है भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट की जंग से ज़्यादा, अब जुबानी जंग छिड़ गई है। चैंपियंस ट्रॉफी शुरू होने से पहले ही, पाकिस्तान के स्पिन लेजेंड सकलैन मुश्ताक ने बीसीसीआई पर जमकर अपनी भड़ास निकाली है। लाइव टेलीविज़न पर उन्होंने बीसीसीआई के “नखरों” की ऐसी धज्जियाँ उड़ाईं कि सोशल मीडिया पर तूफान आ गया है।
मुश्ताक ने पाकिस्तान से कहा कि वो चैंपियंस ट्रॉफी में भारत को सबक सिखाएँ। उन्होंने बीसीसीआई के “नखरों” की कड़ी आलोचना करते हुए पिछले साल भारतीय वीज़ा हासिल करने के दौरान हुई कथित “ज़िल्लत” का भी ज़िक्र किया। मतलब, क्रिकेट के मैदान से लेकर वीज़ा दफ्तर तक, हर जगह बीसीसीआई के “नखरे” ही “नखरे”!
पीसीबी और बीसीसीआई के बीच चैंपियंस ट्रॉफी से पहले महीनों तक तनातनी चलती रही। भारतीय बोर्ड ने आईसीसी से कहा कि रोहित शर्मा की टीम पाकिस्तान नहीं जा सकती, क्योंकि सरकार से उन्हें अनुमति नहीं मिली है। इसलिए, उनके मैचों के लिए न्यूट्रल वेन्यू की मांग की गई। पीसीबी हाइब्रिड मॉडल के पक्ष में नहीं था, और यहां तक कि टूर्नामेंट से हटने की धमकी भी दी थी। लेकिन, आईसीसी ने बीसीसीआई के अनुरोध का समर्थन किया। और दुबई को भारत के सभी मैचों के लिए न्यूट्रल वेन्यू घोषित किया गया।
मुश्ताक ने कहा, “इनके नखरे कभी ख़त्म नहीं होते। हम उनकी तारीफों के पुल बांधते हैं। यहाँ के बच्चे विराट कोहली और जसप्रीत बुमराह को देखना चाहते हैं। हर बच्चा उन्हें एक्शन में देखना चाहता है, लेकिन इनके नखरे कभी ख़त्म नहीं होते। मुझे नहीं पता ये किस दुनिया में रहते हैं और क्या हासिल करना चाहते हैं। ये कब समझदार और बुद्धिमान बनेंगे? ये कब अपने दिल खोलेंगे? टाई पहनकर और अंग्रेजी में बात करके सोचते हैं कि सभ्य बन गए? पाकिस्तान को स्टैंड लेना चाहिए और इन्हें सबक सिखाना चाहिए।” वाह मुश्ताक साहब, क्या खरी-खोटी सुनाई! लगता है गुस्सा सातवें आसमान पर है।
मुश्ताक ने वीज़ा में हुई “परेशानी” का भी ज़िक्र किया। पिछले साल न्यूज़ीलैंड टीम के स्पिन सलाहकार के तौर पर उन्हें भारत आना था, लेकिन वीज़ा नहीं मिलने के कारण वो टीम के साथ नहीं आ सके। उन्होंने बताया कि कैसे उन्हें चार घंटे लाइन में बैठना पड़ा, और कई लोगों से संपर्क करने के बावजूद तीन महीने तक वीज़ा “प्रोसेस” ही होता रहा। अंत में उन्होंने वीज़ा लेने से ही इनकार कर दिया। मतलब, क्रिकेट के मैदान पर तो हार जीत होती है, लेकिन वीज़ा के मामले में भी “नखरे”?
अब देखना ये है कि इस जुबानी जंग का असर मैदान पर कितना पड़ता है। क्या पाकिस्तान भारत को “सबक” सिखा पाएगा? या फिर भारत अपनी “समझदारी” और “सभ्यता” का परिचय देगा? ये तो वक़्त ही बताएगा। लेकिन एक बात तो तय है, ये “नखरे” और “ज़िल्लतें” क्रिकेट की भावना के लिए अच्छी नहीं हैं।