औरंगजेब विवाद: बीजेपी और सपा आमने-सामने, अबु आज़मी की टिप्पणी पर सियासी संग्राम!

चैंपियंस ट्रॉफी की चर्चाओं के बीच एक और “महासंग्राम” चल रहा है—अबु आज़मी बनाम बीजेपी! महाराष्ट्र विधानसभा में समाजवादी पार्टी (सपा) नेता अबु आज़मी के औरंगजेब की तारीफ वाले बयान ने एक नया राजनीतिक बवाल खड़ा कर दिया है। मामला इतना बढ़ गया कि अब आज़मी को विधानसभा से निलंबित कर दिया गया, और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनके निष्कासन तक की मांग कर डाली!

क्या कहा अबु आज़मी ने?

अबु आज़मी का कहना है कि इतिहास को गलत तरीके से दिखाया गया है। उन्होंने कहा:
“औरंगजेब ने कई मंदिर बनवाए थे, मैं उन्हें क्रूर शासक नहीं मानता। संभाजी महाराज और औरंगजेब की लड़ाई प्रशासनिक थी, न कि धार्मिक!”

बस, इतना कहते ही मामला गर्मा गया!

बीजेपी का पलटवार: “आज़मी को देश में रहने का हक नहीं!”

योगी आदित्यनाथ ने सख्त प्रतिक्रिया देते हुए कहा:
“जो शख्स छत्रपति शिवाजी महाराज की विरासत पर शर्म महसूस करता है और औरंगजेब को अपना आदर्श मानता है, उसे देश में रहने का कोई हक नहीं!”

उन्होंने समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव को चुनौती दी कि अगर उन्हें सच्चाई पसंद है तो वे अबु आज़मी को पार्टी से निकालें।

अखिलेश यादव का पलटवार: “सच को दबाने की कोशिश!”

अखिलेश यादव ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा:
“अगर निलंबन विचारधारा के आधार पर होने लगे, तो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और दमन में क्या फर्क रह जाएगा?”

उन्होंने इसे “सच को दबाने की कोशिश” बताया और कहा कि बीजेपी असली मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए ये सब कर रही है।

आज़मी का जवाब: “ये मेरे खिलाफ साजिश है!”

अबु आज़मी ने निलंबन को “अन्यायपूर्ण” करार देते हुए कहा कि यह सिर्फ उनके खिलाफ नहीं, बल्कि उनके “लाखों समर्थकों” के खिलाफ भी है।

उन्होंने सवाल उठाया:
“क्या महाराष्ट्र में दो कानून हैं? एक अबु आज़मी के लिए और दूसरा अन्य नेताओं के लिए?”

बीजेपी पर विपक्ष का पलटवार: “स्क्रिप्टेड ड्रामा!”

विपक्षी INDIA गठबंधन का कहना है कि यह पूरा विवाद बीजेपी की साजिश का हिस्सा है।

कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा:
“जब भी सरकार मुश्किल में होती है, कोई न कोई विवादित बयान सामने आ जाता है। ये सब ध्यान भटकाने की रणनीति है!”

शिवसेना (UBT) ने भी सामना अखबार में संपादकीय लिखकर बीजेपी पर हमला बोला और कहा कि यह विवाद ध्यान भटकाने के लिए खड़ा किया गया है।

अब सवाल ये उठता है…

क्या यह वाकई इतिहास को सही तरीके से पेश करने की बहस है या फिर एक राजनीतिक हथकंडा?

आपको क्या लगता है? क्या अबु आज़मी का बयान सही था, या फिर बीजेपी का पलटवार जायज है? हमें कमेंट में बताएं!

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