मोहम्मद शमी के रोजा न रखने पर विवाद: क्या खेल के दौरान उपवास ज़रूरी?
भारत के तेज़ गेंदबाज़ मोहम्मद शमी एक बार फिर सुर्खियों में हैं, लेकिन इस बार उनके प्रदर्शन के लिए नहीं, बल्कि उनकी धार्मिक मान्यताओं को लेकर। चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के सेमीफाइनल में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए मुकाबले में शमी को पानी पीते देखा गया, जिससे ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने नाराजगी जताई।
क्या कहा मौलाना बरेलवी ने?
मौलाना बरेलवी ने शमी के रोजा न रखने को लेकर बयान दिया, “शरीयत के नज़रिए से, यह अपराध है। उन्होंने मैच के दौरान पानी या कोई अन्य पेय पदार्थ ग्रहण किया, जो कि इस्लामिक उपदेशों के खिलाफ है।”
क्या इस्लाम में खिलाड़ियों को छूट है?
इस्लामिक कानून में सफर (यात्रा) या किसी कठिन कार्य के दौरान रोजा न रखने की छूट दी गई है। कई मुस्लिम एथलीट बड़े टूर्नामेंट के दौरान इस्लामिक विद्वानों से सलाह लेते हैं और निर्णय करते हैं कि रोजा रखा जाए या नहीं।
शमी के समर्थन में खेल जगत
कई क्रिकेट प्रेमियों और विशेषज्ञों का मानना है कि एक खिलाड़ी को उसकी फिटनेस और परफॉर्मेंस के आधार पर निर्णय लेने की स्वतंत्रता होनी चाहिए। खेल के दौरान हाई परफॉर्मेंस देने के लिए शरीर को हाइड्रेटेड रखना आवश्यक होता है, और इसलिए किसी भी खिलाड़ी को जबरदस्ती उपवास रखने के लिए बाध्य नहीं किया जाना चाहिए।
निष्कर्ष
धार्मिक आस्थाएं व्यक्तिगत होती हैं और किसी भी खिलाड़ी को अपनी सहूलियत और फिटनेस के अनुसार निर्णय लेने की स्वतंत्रता होनी चाहिए। खेल भावना और प्रदर्शन को प्राथमिकता देना किसी भी खिलाड़ी का अधिकार है।
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मोहम्मद शमी के रोजा न रखने पर विवाद: क्या खेल के दौरान उपवास ज़रूरी?
