नेपाल में राजतंत्र समर्थक रैली में योगी आदित्यनाथ की तस्वीरों पर विवाद

काठमांडू: नेपाल में पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह के स्वागत में आयोजित एक राजतंत्र समर्थक रैली में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीरें प्रदर्शित किए जाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है।

रविवार को जब 77 वर्षीय पूर्व राजा ज्ञानेंद्र पोखरा से धार्मिक स्थलों के दौरे के बाद त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पहुंचे, तो राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (RPP) के नेताओं और कार्यकर्ताओं सहित सैकड़ों राजतंत्र समर्थकों ने उनके समर्थन में नारेबाजी की।

राजतंत्र बहाली के समर्थन में प्रदर्शन

राजधानी काठमांडू में निकाली गई इस रैली का उद्देश्य नेपाल में राजतंत्र की पुनर्स्थापना की मांग को बल देना था। हवाई अड्डे के बाहर सड़कों के दोनों ओर खड़े समर्थकों ने ज्ञानेंद्र की तस्वीरें और नेपाल के राष्ट्रीय झंडे लहराए। कई समर्थकों ने योगी आदित्यनाथ की तस्वीरें भी ज्ञानेंद्र के साथ प्रदर्शित कीं, जिससे विवाद पैदा हो गया।

योगी आदित्यनाथ की तस्वीरें शामिल करने पर विवाद

बीजेपी नेता और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीरों को इस रैली में शामिल करने पर विभिन्न राजनीतिक दलों और आम जनता ने कड़ी आपत्ति जताई। सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं आईं।

RPP के प्रवक्ता ज्ञानेंद्र शाही ने इस घटना को प्रधानमंत्री के.पी. ओली सरकार की साजिश करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि बिष्णु रिमाल, जो प्रधानमंत्री ओली के मुख्य सलाहकार हैं, उन्होंने इस रैली में योगी आदित्यनाथ की तस्वीरें प्रदर्शित कराने की साजिश रची, ताकि राजतंत्र समर्थकों की छवि खराब की जा सके।

सरकार और विपक्ष में तकरार

बिष्णु रिमाल ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि यह भ्रामक प्रचार है, जिसे “ग़लत सूचना के माध्यम से भ्रम फैलाने की कोशिश” बताया।

प्रधानमंत्री के.पी. ओली ने भी इस मामले पर प्रतिक्रिया दी और किसी का नाम लिए बिना कहा, “हम अपनी रैलियों में विदेशी नेताओं की तस्वीरों का उपयोग नहीं करते हैं।”

नेपाल में राजतंत्र बहाली की बढ़ती मांग

नेपाल में 2008 में लोकतांत्रिक क्रांति के बाद राजशाही समाप्त कर दी गई थी, लेकिन हाल के वर्षों में राजतंत्र समर्थकों की सक्रियता बढ़ी है। फरवरी में लोकतंत्र दिवस के अवसर पर ज्ञानेंद्र शाह ने कहा था, “अब समय आ गया है कि हम देश की रक्षा और राष्ट्रीय एकता को बहाल करने की जिम्मेदारी उठाएं।”

इसके बाद से काठमांडू, पोखरा और नेपाल के अन्य हिस्सों में राजतंत्र बहाली के समर्थन में प्रदर्शन हो रहे हैं।

क्या ज्ञानेंद्र शाह और योगी आदित्यनाथ की मुलाकात हुई थी?

रिपोर्टों के अनुसार, पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह ने जनवरी में उत्तर प्रदेश दौरे के दौरान योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी। इस मुलाकात को लेकर भी नेपाल की राजनीति में चर्चा गर्म रही है।

निष्कर्ष

नेपाल में राजतंत्र समर्थक रैली में योगी आदित्यनाथ की तस्वीरों का प्रदर्शित किया जाना केवल एक संयोग था या किसी राजनीतिक साजिश का हिस्सा, यह स्पष्ट नहीं है। लेकिन इस घटना ने नेपाल की राजनीति और भारत-नेपाल संबंधों में नई बहस को जन्म दे दिया है। राजतंत्र समर्थकों की बढ़ती सक्रियता से यह सवाल भी उठने लगा है कि क्या नेपाल में राजशाही की वापसी संभव है?


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