महाकुंभ 2025: “सनातन का ध्वज कभी नहीं झुकेगा” – योगी आदित्यनाथ का दिव्य उद्घोष!

प्रयागराज की पावन धरा पर महाशिवरात्रि के अमृत स्नान के साथ संपन्न हुए दिव्य महाकुंभ ने इतिहास रच दिया।

66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं की आस्था का सैलाब, स्वच्छता का अद्भुत संगम और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ओजस्वी नेतृत्व, महाकुंभ 2025 को एक अविस्मरणीय अनुभव बना गया।


स्वच्छता का दिव्य संदेश और सम्मान:


महाकुंभ के सफल समापन के बाद, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने पूरे मंत्रिमंडल के साथ प्रयागराज का दौरा किया। उन्होंने न केवल संगम के तट पर पूजा-अर्चना की, बल्कि स्वच्छता अभियान में भी सक्रिय रूप से भाग लिया। स्वच्छता कर्मियों के समर्पण और कार्य से प्रभावित होकर, उन्होंने उन्हें 10,000 रुपये के बोनस की घोषणा की। इसके अतिरिक्त, उन्होंने स्वच्छता कर्मियों के साथ बैठकर भोजन भी किया, जिससे सभी के दिलों को छू लिया। यह दृश्य न केवल स्वच्छता कर्मियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना, बल्कि समाज में भी एक सकारात्मक संदेश दिया।


ऐतिहासिक समागम और विपक्ष को करारा जवाब:


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ 2025 को एक ऐतिहासिक समागम बताया, जिसमें 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने पवित्र संगम में आस्था की डुबकी लगाई। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के बावजूद, कहीं से भी किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली, जो सरकार और प्रशासन के सफल प्रबंधन को दर्शाती है।
विपक्ष पर निशाना साधते हुए, उन्होंने कहा कि विपक्ष ने इस आयोजन को बदनाम करने की पूरी कोशिश की। उन्होंने विपक्ष द्वारा फैलाई गई अफवाहों और गलत सूचनाओं का खंडन किया और कहा कि श्रद्धालुओं ने बड़ी संख्या में आकर विपक्ष के दुष्प्रचार का मुंहतोड़ जवाब दिया है।


“सनातन का ध्वज कभी नहीं झुकेगा”:


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने उद्बोधन में कहा, “सनातन का ध्वज कभी नहीं झुकेगा।” यह वाक्य न केवल उनकी दृढ़ता को दर्शाता है, बल्कि सनातन धर्म के प्रति उनकी अटूट आस्था को भी प्रकट करता है। महाकुंभ 2025 ने यह साबित कर दिया कि आस्था और समर्पण की शक्ति से हर चुनौती को पार किया जा सकता है।


निष्कर्ष:


महाकुंभ 2025 न केवल एक धार्मिक आयोजन था, बल्कि यह स्वच्छता, सद्भाव और एकता का भी प्रतीक था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में, यह आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ और एक नया इतिहास रचा। यह आयोजन आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा।
क्या आपने महाकुंभ 2025 में भाग लिया? अपने अनुभव हमारे साथ साझा करें!


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