“विराट कोहली ने ब्रॉडकास्टर्स को दी सलाह: खेल पर ध्यान दें, चोले-भटूरे पर नहीं!”

“खेल पर ध्यान दें, मेरी पसंदीदा डिश पर नहीं” – विराट कोहली का ब्रॉडकास्टर्स को दो टूक संदेश

विराट कोहली सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के सबसे प्रभावशाली खिलाड़ियों में से एक हैं। उनकी क्रिकेटिंग स्किल्स और फिटनेस को लेकर हमेशा चर्चा होती रहती है, लेकिन कभी-कभी यह चर्चा उनके खेल से ज्यादा उनकी निजी जिंदगी पर केंद्रित हो जाती है।

हाल ही में RCB इनोवेशन लैब इंडियन स्पोर्ट्स समिट के दौरान, कोहली ने इस विषय पर अपनी स्पष्ट राय रखी। उन्होंने कहा कि स्पोर्ट्स ब्रॉडकास्टर्स को खिलाड़ियों की ट्रेनिंग और मेहनत पर ध्यान देना चाहिए, न कि इस बात पर कि वे दोपहर के खाने में क्या खा रहे हैं।

“खेल की बात करें, न कि चोले-भटूरे की!”

कोहली ने इस समिट में कहा:
“हम भारत को एक स्पोर्ट्स-फॉरवर्ड नेशन बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। हमारे पास विज़न है, बुनियादी ढांचा तैयार किया जा रहा है। यह केवल पैसे लगाने वालों या खिलाड़ियों की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि दर्शकों की भी जिम्मेदारी है। हमें सही शिक्षा की जरूरत है।”

उन्होंने आगे कहा:
“एक ब्रॉडकास्ट शो को खेल पर फोकस करना चाहिए, न कि इस पर कि मैंने कल दोपहर के खाने में क्या खाया या मेरी पसंदीदा चोले-भटूरे की दुकान कौन सी है। क्रिकेट मैचों में यह सब नहीं होना चाहिए। इसकी बजाय, चर्चा इस पर होनी चाहिए कि एक एथलीट किन चुनौतियों से गुजर रहा है।”

RCB कैंप में लौटे कोहली, लेकिन कप्तानी नहीं मिली

आईपीएल 2025 के लिए कोहली रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) के कैंप में वापस आ गए हैं। कुछ दिनों पहले ऐसी अफवाहें थीं कि कोहली फिर से RCB की कप्तानी संभाल सकते हैं, लेकिन फ्रैंचाइज़ी ने भविष्य को ध्यान में रखते हुए यह जिम्मेदारी रजत पाटीदार को सौंप दी।

हालांकि, पाटीदार कोहली की मौजूदगी में कप्तानी करेंगे, जिससे उन्हें मार्गदर्शन और सपोर्ट मिलेगा। कोहली पहले भी अपनी लीडरशिप और अनुभव से युवा खिलाड़ियों को प्रेरित कर चुके हैं, और RCB के इस फैसले से टीम को एक संतुलित नेतृत्व मिलने की उम्मीद है।

क्या कोहली की बातों से कुछ बदलेगा?

कोहली के इस बयान से यह साफ हो जाता है कि वह भारतीय खेल संस्कृति को लेकर कितने गंभीर हैं। उनके मुताबिक, ब्रॉडकास्टर्स को खेल की तकनीकी बारीकियों, खिलाड़ियों की मेहनत और उनकी मानसिक व शारीरिक चुनौतियों पर अधिक ध्यान देना चाहिए, बजाय इसके कि वे खिलाड़ियों की निजी पसंद-नापसंद को हाईलाइट करें।

अब देखना यह होगा कि उनकी इस अपील का मीडिया और ब्रॉडकास्टर्स पर क्या असर पड़ता है। क्या वाकई क्रिकेट मैचों की कमेंट्री और शो में खिलाड़ियों के खेल और ट्रेनिंग पर ज्यादा चर्चा होगी? या फिर चोले-भटूरे जैसे हल्के विषय ही सुर्खियां बटोरते रहेंगे?

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