सैन डिएगो, 15 जुलाई 2025 — भारतीय अंतरिक्ष यात्री और ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने आज दोपहर 3:01 बजे IST पर स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल के साथ प्रशांत महासागर में सफलतापूर्वक लैंडिंग की। यह ऐतिहासिक क्षण भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ता है, क्योंकि शुभांशु अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर जाने वाले पहले भारतीय बने और अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बने, राकेश शर्मा के बाद।

मिशन की मुख्य बातें
- मिशन का नाम: Axiom-4 (Ax-4)
- अवधि: 18 दिन अंतरिक्ष में
- लॉन्च तिथि: 25 जून 2025, फ्लोरिडा से
- साथी अंतरिक्ष यात्री:
- कमांडर पेगी व्हिटसन (अमेरिका)
- स्लावोस्ज़ उज़नांस्की-विस्निएव्स्की (पोलैंड)
- टिबोर कापू (हंगरी)
वैज्ञानिक प्रयोग
शुक्ला ने ISS पर कई महत्वपूर्ण प्रयोग किए, जिनमें शामिल थे:
- स्पेस माइक्रोएल्गी पर अध्ययन — भोजन, ऑक्सीजन और बायोफ्यूल उत्पादन की संभावनाओं के लिए
- मांसपेशियों की क्षति, पाचन तंत्र और मानसिक स्वास्थ्य पर माइक्रोग्रैविटी का प्रभाव
- पौधों की वृद्धि पर स्प्राउट्स प्रोजेक्ट, जो भविष्य के मिशनों और पृथ्वी पर कृषि को प्रभावित कर सकता है
भारत की गौरवगाथा
शुक्ला ने ISS से अपने विदाई संदेश में कहा:
“आज का भारत अंतरिक्ष से महत्वाकांक्षी, निडर, आत्मविश्वासी और गर्वित दिखता है… आज भी भारत ‘सारे जहां से अच्छा’ है।”
उनकी वापसी पर पूरे देश में उत्सव का माहौल है। उनकी माँ, आशा शुक्ला ने भावुक होकर कहा:
“मेरा बेटा सुरक्षित लौट आया है, मैं भगवान का और आप सभी का धन्यवाद करती हूँ।”
वापसी और पुनर्वास
- लैंडिंग स्थान: सैन डिएगो के पास प्रशांत महासागर
- यात्रा अवधि: 22.5 घंटे की वापसी यात्रा
- पुनर्वास कार्यक्रम: एक सप्ताह का विशेष कार्यक्रम शुरू होगा जिससे शरीर को पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण में पुनः समायोजित किया जा सके
भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षा
इस मिशन के लिए ISRO ने लगभग ₹550 करोड़ खर्च किए। यह अनुभव भारत के आगामी गगनयान मिशन (2027) की तैयारी में सहायक होगा।
शुभकामनाएं शुभांशु शुक्ला को!
उनकी वापसी न केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि भारत की वैज्ञानिक क्षमता और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की मिसाल भी है।