मोहम्मद रिज़वान, पाकिस्तान क्रिकेट टीम के विकेटकीपर-बल्लेबाज, हमेशा की तरह, हार के बाद भी अपनी “समझदारी” और “जिम्मेदारी” का भरपूर प्रदर्शन करते नज़र आए। मैच के बाद उन्होंने जो कुछ कहा, उससे साफ़ ज़ाहिर होता है कि पाकिस्तान की टीम हार से ज़्यादा, बहानों और “क्या होता अगर” की दुनिया में खोई हुई है।
रिज़वान ने कहा कि न्यूज़ीलैंड ने उम्मीद से ज़्यादा रन बना दिए, “हमने 260 के आसपास का लक्ष्य सोचा था।” वाह भाई वाह! लगता है मैच से पहले इन्होंने कोई “ज्योतिषी” नहीं बल्कि “गणितज्ञ” से सलाह ली थी, जो हार के बाद भी “अनुमान” लगाने में माहिर हैं। “हमने पूरी कोशिश की, सभी रणनीतियाँ अपनाईं,” ये जुमला तो हर मैच के बाद सुनने को मिलता है, जैसे हारना इनकी “राष्ट्रीय रणनीति” का हिस्सा हो।
पिच के बारे में रिज़वान ने कहा कि “पहले पिच बल्लेबाज़ी के लिए आसान नहीं थी, लेकिन जब विल यंग और लैथम ने साझेदारी की तो ये आसान हो गई।” मतलब, पिच भी इनके सामने “घुटने” टेक देती है, जब न्यूज़ीलैंड के बल्लेबाज “सेटल” हो जाते हैं। और “अंत में हमने वही ग़लती की जो हमने लाहौर में की थी,” ये कहना तो ऐसे है जैसे अपनी ग़लतियों से सीखना इनकी “किताब” में लिखा ही नहीं है।
“हमें बल्लेबाज़ी में अच्छी शुरुआत नहीं मिली,” ये बहाना भी हर बार की तरह इस बार भी तैयार था। और फ़खर ज़मान की चोट के बारे में कहा, “अभी कुछ पता नहीं, रिपोर्ट नहीं आई है। उन्हें दर्द है।” मतलब, चोट भी ऐसी है जैसे कोई “राष्ट्रीय समस्या” हो, जिसकी रिपोर्ट आने में भी वक्त लगता है।
“हम दो बार मोमेंटम खो गए – एक बार गेंदबाज़ी में डेथ ओवर्स में और फिर बल्लेबाज़ी में पावरप्ले में,” ये कहना तो ऐसे है जैसे मैच नहीं, कोई “पहेली” सुलझा रहे थे, और “मोमेंटम” कहीं “खो” गया था। “ये हमारे लिए निराशाजनक है, हमने इसे एक सामान्य मैच की तरह खेला।” वाह भाई वाह! लगता है “सामान्य मैच” खेलने का यही नतीजा होता है।
“मैच अब गया, और उम्मीद है कि हम बाकी में बेहतर करेंगे।” ये उम्मीद तो हर मैच के बाद होती है, लेकिन “बेहतर” कब होगा, ये तो ख़ुदा ही जाने। या शायद अगले मैच में भी कोई नया “बहाना” तैयार होगा।
Discover more from NewzYatri.com
Subscribe to get the latest posts sent to your email.