लगता है पाकिस्तान क्रिकेट टीम को अपनी पुरानी बीमारियों से कुछ ज़्यादा ही प्यार है। न्यूज़ीलैंड के सामने फिर वही ढाक के तीन पात! हफ़्तों के अंदर तीसरी बार, कीवी टीम ने पाकिस्तान को उनके घर में ही धूल चटाई है। और वो भी उसी पुराने अंदाज़ में, जैसे कोई स्क्रिप्ट पहले से लिखी गई हो।
डेथ ओवर्स में रनों की बरसात, ये तो पाकिस्तान की “पहचान” बन गई है। आखिरी ओवरों में इतने रन दे देते हैं जैसे कोई दरिया बह रहा हो। और फिर बल्लेबाजी में वही सुस्ती, वही घिसी-पिटी रणनीति। लगता है बल्लेबाजों ने कसम खा ली है कि टी20 को टेस्ट मैच समझ कर खेलेंगे।
फखर ज़मान की चोट का बहाना भी खूब मिला। चलो मान लिया, फखर नहीं थे, तो क्या हुआ? बाबर और शकील क्या कर रहे थे? ऐसे खेल रहे थे जैसे स्विंग नहीं, भूचाल आया हो। और फिर रिज़वान का वो “ब्लाइंड” कैच! लगता है ग्लेन फिलिप्स की नज़र ही इतनी तेज़ थी कि उन्हें कैच दिख गया, वरना पाकिस्तान की फील्डिंग तो भगवान भरोसे ही होती है।
पहली आधी बल्लेबाजी तो ऐसी थी जैसे कोई सरकारी फ़ाइल चल रही हो। बाबर की पचास रन की पारी को देखकर लग रहा था जैसे टेस्ट मैच में शतक जड़ा हो। और जब फखर वापस आए, तो वो भी अपनी लय नहीं ढूंढ पाए। आखिर में खुशदिल शाह और टेलेंडर्स ने कुछ छक्के ज़रूर लगाए, लेकिन वो तो सिर्फ हार का अंतर कम करने के लिए था, जैसे ज़ख्मों पर थोड़ा सा मरहम लगा दिया जाए। मैच तो पहले से ही गया था।
न्यूज़ीलैंड की बात करें तो उन्होंने अपनी प्लानिंग को बख़ूबी अंजाम दिया। शुरुआती स्विंग का पूरा फ़ायदा उठाया, और फिर अपने स्पिनरों से ऐसा टर्न निकलवाया जैसे पिच में चुंबक लगा हो। कुल मिलाकर न्यूज़ीलैंड ने क्लीनिकल प्रदर्शन किया, और पाकिस्तान की कमज़ोरियों को एक बार फिर सबके सामने ला खड़ा किया। अब देखते हैं प्रेज़ेंटेशन में क्या कहानी होती है, लेकिन हमें तो लगता है वही पुरानी बातें और वही पुराने बहाने सुनने को मिलेंगे। क्या कभी पाकिस्तान क्रिकेट अपनी गलतियों से सीखेगा? ये तो वक्त ही बताएगा।
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