नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क — केरल की नर्स निमिषा प्रिया की यमन में 16 जुलाई को होने वाली फांसी की सजा को टालने की कोशिशें अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई हैं। भारतीय सुन्नी नेता कंथापुरम ए. पी. अबूबक्कर मुस्लियार और सूफी आलिम शेख हबीब उमर बिन हाफिज की पहल पर यमन में ताबड़तोड़ बैठकें हो रही हैं, जिससे एक नई उम्मीद जगी है।
मामला क्या है?
निमिषा प्रिया को यमन में एक स्थानीय नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई है। यह मामला यमन के धमार शहर से जुड़ा है, जहां तलाल का परिवार अब तक किसी भी बातचीत के लिए तैयार नहीं था। लेकिन भारतीय धार्मिक नेताओं की मध्यस्थता से पहली बार परिवार बातचीत के लिए राजी हुआ है।
निर्णायक बैठक की तैयारी
- मंगलवार सुबह 10 बजे (यमन समयानुसार) धमार में तलाल के परिवार और शेख हबीब के प्रतिनिधियों की मुलाकात होगी।
- इस बैठक में तलाल के एक करीबी रिश्तेदार भी शामिल होंगे, जो यमन की शूरा काउंसिल के सदस्य और हुदैदा स्टेट कोर्ट के चीफ जस्टिस हैं।
- उम्मीद है कि वे परिवार को ब्लड मनी स्वीकार करने के लिए मनाने की कोशिश करेंगे और यमन के अटॉर्नी जनरल से सजा टालने की अपील भी करेंगे।
ब्लड मनी: आखिरी रास्ता
शरिया कानून के अनुसार, यदि मृतक का परिवार आरोपी को माफ कर देता है और मुआवजे के रूप में एक निश्चित रकम स्वीकार करता है, तो आरोपी की सजा माफ की जा सकती है। इसे ‘ब्लड मनी’ कहा जाता है। यही निमिषा की जिंदगी बचाने का अंतिम विकल्प है।
धार्मिक नेताओं की भूमिका
- कंथापुरम मुस्लियार को भारत का ग्रैंड मुफ्ती माना जाता है। उन्होंने यमन के धार्मिक नेताओं से संपर्क कर इस पहल को आगे बढ़ाया।
- शेख हबीब के सूफी सिलसिले से जुड़े यमन के प्रभावशाली लोग भी इस प्रयास में शामिल हैं।
अंतरराष्ट्रीय अपील
कंथापुरम ने यमन सरकार से भी अपील की है कि सजा को कुछ समय के लिए टाल दिया जाए ताकि बातचीत और ब्लड मनी पर सहमति बन सके।
निष्कर्ष
निमिषा प्रिया की जिंदगी अब यमन के एक परिवार के फैसले पर टिकी है। अगर ब्लड मनी स्वीकार कर ली जाती है, तो यह भारतीय नागरिक के लिए राहत की सबसे बड़ी खबर होगी। यह मामला न केवल कानूनी बल्कि मानवीय और कूटनीतिक दृष्टिकोण से भी बेहद संवेदनशील बन चुका है।