
अगर मोदी सरकार ने किसी चीज़ का थोक में उत्पादन किया है, तो वह है आर्थिक विफलता, बेरोजगारी, महंगाई और झूठ। देश की अर्थव्यवस्था जिस तेजी से गिर रही है, उतनी ही तेजी से सरकार झूठे दावों के साथ अपनी नाकामयाबी छुपाने में लगी हुई है।
आइए उन बिंदुओं पर चर्चा करें, जो भारत की आर्थिक स्थिति को सुधार सकते हैं, लेकिन सरकार ने इन्हें नजरअंदाज कर दिया है।
1. अन्यायपूर्ण कर व्यवस्था को खत्म करो
देश के मध्यम और निम्न वर्ग पर भारी टैक्स का बोझ डाला जा रहा है, जबकि बड़े कॉरपोरेट्स को टैक्स में छूट दी जा रही है। महंगाई की मार झेल रहे आम नागरिकों को राहत देने के बजाय, सरकार उनकी जेब काटने में लगी हुई है। अगर हमें वास्तविक आर्थिक सुधार चाहिए, तो सबसे पहले इस अन्यायपूर्ण कर व्यवस्था को बदलना होगा।
2. कॉरपोरेट एकाधिकार को समाप्त करो
आज के दौर में छोटे व्यापारियों और स्टार्टअप्स के लिए बाजार में टिक पाना मुश्किल हो गया है। कुछ गिने-चुने उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए नीतियां बनाई जा रही हैं, जिससे स्वतंत्र व्यापार समाप्त हो रहा है। यह जरूरी है कि उद्योगों में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दिया जाए, ताकि हर वर्ग को आगे बढ़ने का मौका मिले।
3. बैंकिंग सिस्टम को सबके लिए खोलो
बैंक केवल अमीरों और बड़े उद्योगपतियों के लिए ही क्यों काम कर रहे हैं? छोटे व्यापारियों, किसानों और आम लोगों को सस्ते और सुलभ ऋण नहीं मिलते, जबकि बड़े कॉरपोरेट्स को हजारों करोड़ के लोन आसानी से मिल जाते हैं। सरकार को बैंकिंग व्यवस्था को पारदर्शी और सबके लिए सुलभ बनाना होगा।
4. हुनर को हक़ दिलाओ, बेरोजगारी को खत्म करो
आज के युवाओं में प्रतिभा और हुनर की कोई कमी नहीं है, लेकिन सरकार की असफल नीतियों ने उन्हें बेरोजगारी के दलदल में धकेल दिया है। स्किल डेवलपमेंट, स्वरोजगार और स्टार्टअप्स को बढ़ावा दिए बिना भारत आत्मनिर्भर नहीं बन सकता। सरकार को चाहिए कि वह युवाओं को सशक्त बनाए, न कि सिर्फ खोखले वादे करे।
कैसे होगा मजबूत भारत का निर्माण?
भारत को एक मजबूत अर्थव्यवस्था और रोजगारपरक भविष्य की ओर ले जाने के लिए सरकार को ये ठोस कदम उठाने होंगे:
✔️ अन्यायपूर्ण कर प्रणाली में सुधार
✔️ बाजार में स्वतंत्र प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा
✔️ बैंकों की सेवाओं को सबके लिए सुलभ बनाना
✔️ हुनरमंद युवाओं को रोजगार के अवसर देना
जब तक इन बुनियादी बदलावों को लागू नहीं किया जाता, तब तक भारत की अर्थव्यवस्था का विकास एक सपना ही बना रहेगा। अब समय आ गया है कि हम सही सवाल पूछें और जवाब मांगें।
निष्कर्ष
क्या आप मानते हैं कि मोदी सरकार की आर्थिक नीतियाँ आम जनता के हित में नहीं हैं? क्या आप भी बेरोज़गारी और महंगाई से परेशान हैं?
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