माइग्रेन केवल एक साधारण सिरदर्द नहीं है, बल्कि यह एक जटिल न्यूरोलॉजिकल समस्या है जो मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है। यह समस्या दुनिया भर में लाखों लोगों को परेशान कर रही है। माइग्रेन के दौरान सिर में तेज़ दर्द, रोशनी और आवाज़ के प्रति संवेदनशीलता, मतली और उल्टी जैसी समस्याएँ देखने को मिलती हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि माइग्रेन के दौरान हमारे दिमाग में वास्तव में क्या होता है? आइए, इसे विस्तार से समझते हैं।


माइग्रेन कैसे होता है?
माइग्रेन एक जटिल न्यूरोलॉजिकल विकार है जो मस्तिष्क की संवेदनशीलता, रसायनों के असंतुलन और तंत्रिका तंत्र की गड़बड़ी के कारण होता है। डॉ. शोभा एन, न्यूरोलॉजिस्ट और स्ट्रोक विशेषज्ञ, मणिपाल अस्पताल, मल्लेश्वरम के अनुसार, माइग्रेन का कारण अनुवांशिक और पर्यावरणीय दोनों प्रकार के कारक होते हैं।
जॉन्स हॉपकिन्स मेडिसिन की एक रिपोर्ट के अनुसार, माइग्रेन के दर्द का एक कारण अत्यधिक सक्रिय मस्तिष्क कोशिकाओं का समूह होता है, जो मस्तिष्क में तरंगों की तरह सक्रिय हो जाता है। यह गतिविधि सेरोटोनिन जैसे रसायनों के स्राव को बढ़ाती है, जिससे रक्त वाहिकाएँ संकुचित हो जाती हैं और सिरदर्द की स्थिति पैदा होती है।
माइग्रेन के चार चरण
1. प्रोड्रोम (आरंभिक संकेत)
माइग्रेन शुरू होने से पहले कुछ लक्षण दिखाई देने लगते हैं, जिन्हें प्रोड्रोम चरण कहा जाता है। इस दौरान लोग अनुभव कर सकते हैं:
✔️ चिड़चिड़ापन
✔️ मूड स्विंग्स
✔️ खाने की तीव्र इच्छा
✔️ गर्दन में अकड़न
✔️ ध्वनि के प्रति संवेदनशीलता
2. ऑरा (नेत्रीय एवं संवेदी लक्षण)
इस चरण में कॉर्टिकल स्प्रेडिंग डिप्रेशन (CSD) नामक प्रक्रिया होती है, जिसमें मस्तिष्क की सतह पर एक लहर की तरह विद्युत गतिविधि चलती है। इससे:
✔️ धुंधला दिखना
✔️ टिमटिमाती रोशनी दिखना
✔️ झुनझुनी या सुन्नता महसूस होना
3. अटैक (मुख्य माइग्रेन दर्द)
इस चरण में तीव्र सिरदर्द होता है, जो आमतौर पर 4 से 72 घंटे तक रह सकता है। यह दर्द एक तरफ़ या पूरे सिर में महसूस हो सकता है। इस दौरान:
✔️ तेज़ धड़कता हुआ सिरदर्द
✔️ रोशनी और आवाज़ से परेशानी
✔️ मतली और उल्टी
✔️ कमजोरी और थकान
4. पोस्टड्रोम (माइग्रेन के बाद की स्थिति)
इसे माइग्रेन हैंगओवर भी कहा जाता है। इस दौरान व्यक्ति को थकावट, दिमागी सुस्ती और हल्की बेचैनी महसूस हो सकती है।
माइग्रेन होने के मुख्य कारण
1️⃣ तनाव और मानसिक दबाव – अत्यधिक स्ट्रेस माइग्रेन ट्रिगर कर सकता है।
2️⃣ नींद की कमी – अनियमित या कम नींद माइग्रेन का कारण बन सकती है।
3️⃣ खान-पान – चॉकलेट, कैफीन, एल्कोहल, ज्यादा मसालेदार भोजन माइग्रेन को बढ़ा सकते हैं।
4️⃣ हार्मोनल बदलाव – खासतौर पर महिलाओं में मासिक धर्म के दौरान माइग्रेन की संभावना अधिक होती है।
5️⃣ तेज़ रोशनी और शोर – ज़्यादा तेज़ रोशनी या शोर वाले वातावरण में रहना माइग्रेन को बढ़ा सकता है।
माइग्रेन का इलाज और प्रबंधन
✔️ दवाइयाँ – ट्रिप्टान्स, सीजीआरपी एंटागोनिस्ट, सेरोटोनिन रिसेप्टर एगोनिस्ट जैसी दवाइयाँ मदद कर सकती हैं।
✔️ संतुलित जीवनशैली – नियमित व्यायाम, सही खानपान और पर्याप्त नींद माइग्रेन को रोकने में मदद कर सकते हैं।
✔️ योग और ध्यान – तनाव को कम करने और दिमाग को शांत रखने के लिए योग और ध्यान बेहद प्रभावी हैं।
✔️ एक्यूप्रेशर थेरेपी – कुछ विशिष्ट बिंदुओं पर दबाव देने से माइग्रेन के दर्द में राहत मिल सकती है।
✔️ हाइड्रेशन – पर्याप्त पानी पीना माइग्रेन को नियंत्रित करने में सहायक होता है।
निष्कर्ष
माइग्रेन सिर्फ एक सिरदर्द नहीं, बल्कि एक जटिल न्यूरोलॉजिकल विकार है, जिसे सही देखभाल और उपचार से नियंत्रित किया जा सकता है। यदि माइग्रेन बार-बार हो रहा है, तो डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक है। एक संतुलित जीवनशैली अपनाकर, ट्रिगर को पहचानकर और सही उपचार लेकर माइग्रेन के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
अगर आपको यह जानकारी उपयोगी लगी हो, तो इसे दूसरों के साथ साझा करें और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएँ!