भारत ने मिसाइल टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में एक और बड़ी छलांग लगाई है। DRDO (Defence Research and Development Organisation) इस वर्ष के अंत तक एक नई श्रेणी की हाइपरसोनिक मिसाइल ‘ध्वनि’ का परीक्षण करने की योजना बना रहा है। यह मिसाइल Mach 6 यानी लगभग 7,400 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भर सकती है और उड़ान के दौरान दिशा बदलने की क्षमता रखती है, जिससे इसे इंटरसेप्ट करना लगभग असंभव हो जाता है।
ध्वनि मिसाइल को दुनिया की सबसे एडवांस मिसाइलों में गिना जा रहा है। इसका डिजाइन DRDO के Hypersonic Technology Demonstrator Vehicle (HSTDV) की सफलता पर आधारित है। भारत ने स्क्रैमजेट सुपरसोनिक रैमजेट टेक्नोलॉजी में पहले ही महारत हासिल कर ली है, और इसके परीक्षणों में 1,000 सेकंड से अधिक समय तक लगातार प्रदर्शन किया गया है — जो एक रिकॉर्ड है।
ध्वनि मिसाइल दो-स्टेज प्रणाली पर आधारित है:
- पहला चरण रॉकेट बूस्टर द्वारा ऊँचाई तक ले जाता है।
- दूसरा चरण हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल द्वारा लक्ष्य की ओर उड़ान भरता है।
यह मिसाइल ब्रह्मोस की तरह पृथ्वी के करीब उड़ती है, लेकिन इसकी गति आवाज की रफ्तार से छह गुना अधिक है। विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी THAAD और इजराइली Iron Dome जैसे एडवांस एयर डिफेंस सिस्टम भी इसे रोक नहीं पाएंगे।
चीन की DF-26 मिसाइल, जिसे दुनिया की सबसे एडवांस मिसाइलों में गिना जाता है, उसकी तुलना में ‘ध्वनि’ कई मायनों में आगे है। DF-26 मुख्य रूप से स्थिर मार्ग पर आधारित है और उसमें दिशा बदलने की सीमित क्षमता है, जबकि ‘ध्वनि’ उड़ान के दौरान लक्ष्य को धोखा देने की क्षमता रखती है। इसके अलावा, ‘ध्वनि’ की कम ऊंचाई पर उड़ान और उच्च गति इसे अधिक प्रभावशाली बनाती है।
DRDO ने हाल के महीनों में मिसाइल के एरोडायनेमिक्स, थर्मल मैनेजमेंट, गाइडेंस सिस्टम और स्क्रैमजेट इंजन पर कई सफल परीक्षण किए हैं। इनमें एडवांस सेरामिक थर्मल बैरियर कोटिंग्स का परीक्षण भी शामिल है, जो अत्यधिक गर्मी को सहन करने में सक्षम है।
रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि ‘ध्वनि’ और ‘ब्रह्मोस’ भारतीय सेना की ऐसी दो मिसाइलें होंगी, जिन्हें अगले 15 वर्षों तक चीन और पाकिस्तान जैसे देश इंटरसेप्ट नहीं कर पाएंगे। यह भारत को अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों की कतार में खड़ा कर देगा, जिन्होंने ऑपरेशनल हाइपरसोनिक हथियार विकसित किए हैं।