भारत की सुरक्षा व्यवस्था लगातार बदलते वैश्विक खतरों का सामना कर रही है। साइबर युद्ध, हाइब्रिड युद्ध, अंतरिक्ष आधारित चुनौतियाँ और अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध जैसे खतरों के प्रति सतर्क रहना अब पहले से कहीं अधिक आवश्यक हो गया है। इन्हीं विषयों पर रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और गृह मंत्रालय (MHA) के संयुक्त


सम्मेलन-कम-प्रदर्शनी में रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने अपनी महत्वपूर्ण राय रखी।
इस दो दिवसीय आयोजन का मुख्य उद्देश्य केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPFs) के अधिकारियों को नई तकनीकों और उन्नत सुरक्षा समाधानों से अवगत कराना था, ताकि वे आधुनिक चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना कर सकें।
आधुनिक सुरक्षा चुनौतियों के लिए सतर्कता आवश्यक
रक्षा मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि आज के दौर में आंतरिक और बाहरी सुरक्षा खतरों के बीच की सीमाएँ धुंधली हो रही हैं। अब सिर्फ पारंपरिक युद्ध नहीं, बल्कि साइबर हमले, अंतरिक्ष में होने वाले हमले, और आतंकवादियों के नए तरीकों से निपटना भी जरूरी हो गया है। भारत को अपनी सुरक्षा नीतियों में नवाचार और तकनीकी उन्नति को प्राथमिकता देनी होगी।
तकनीक की शक्ति: सुरक्षा से लेकर आपदा प्रबंधन तक
रक्षा मंत्री ने बताया कि आधुनिक तकनीकों का उपयोग सिर्फ सुरक्षा अभियानों में ही नहीं, बल्कि आपदा प्रबंधन और मानवीय राहत कार्यों में भी किया जा सकता है। उदाहरण के लिए:
✔ थर्मल इमेजिंग कैमरा – रात में निगरानी और संदिग्ध गतिविधियों की पहचान में सहायक।
✔ ड्रोन आधारित पहचान प्रणाली – दुर्गम क्षेत्रों में खतरों की पहचान करने में मददगार।
✔ विक्टिम लोकेशन डिवाइस – प्राकृतिक आपदाओं में फँसे लोगों को खोजने में सहायक।
इन तकनीकों से प्राकृतिक आपदाओं में हताहतों की संख्या को कम किया जा सकता है और राहत कार्यों को अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है।
DRDO की महत्वपूर्ण भूमिका
रक्षा मंत्री ने DRDO द्वारा विकसित नवीन तकनीकों की सराहना की, जिनमें शामिल हैं:
छोटे हथियार और बुलेटप्रूफ जैकेट, जो सैनिकों को सुरक्षा प्रदान करते हैं।
सर्विलांस और कम्युनिकेशन सिस्टम, जो खुफिया जानकारी जुटाने और संचार व्यवस्था को मजबूत बनाते हैं।
इन तकनीकों से सुरक्षा बलों की ताकत बढ़ती है और वे खतरों का सामना अधिक दक्षता से कर पाते हैं।
DRDO और गृह मंत्रालय के बीच सहयोग को बढ़ावा
श्री राजनाथ सिंह ने DRDO और गृह मंत्रालय के बीच मजबूत तालमेल पर जोर दिया। उन्होंने सुझाव दिया कि एक सामान्य सूची तैयार की जाए, जिसमें ऐसी तकनीकों को शामिल किया जाए जो सुरक्षा बलों की जरूरतों के अनुसार विकसित की जा सकें। इससे सुरक्षा बलों को समयबद्ध और प्रभावी समाधान मिलेंगे और वे किसी भी खतरे से निपटने के लिए तैयार रहेंगे।
निष्कर्ष
यह सम्मेलन आधुनिक तकनीकों के उपयोग को बढ़ावा देने और आंतरिक सुरक्षा तथा आपदा प्रबंधन को मजबूत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। भारत को अपने सुरक्षा तंत्र को लगातार विकसित करने की आवश्यकता है ताकि वह वर्तमान और भविष्य के खतरों का सामना प्रभावी ढंग से कर सके।
रक्षा मंत्री की यह पहल सुरक्षा और तकनीकी नवाचार के क्षेत्र में भारत को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने में सहायक साबित होगी।
आइए, हम सभी भारत की सुरक्षा में तकनीकी नवाचारों को अपनाने और समर्थन देने की दिशा में आगे बढ़ें!
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