परिसीमन और जनसंख्या प्रबंधन: चंद्रबाबू नायडू का बड़ा बयान
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने हाल ही में परिसीमन (Delimitation) को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि परिसीमन की अभी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन यह एक आवश्यक प्रक्रिया है, जिसे तय समय पर पूरा किया जाएगा। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि भारत सरकार इस मुद्दे पर सभी संबंधित पक्षों के साथ विचार-विमर्श करेगी।
परिसीमन और जनसंख्या प्रबंधन अलग-अलग मुद्दे
दिल्ली में मीडिया से बातचीत के दौरान चंद्रबाबू नायडू ने परिसीमन और जनसंख्या प्रबंधन को दो अलग-अलग विषय बताते हुए कहा कि इन दोनों मुद्दों को मौजूदा राजनीतिक चर्चाओं से जोड़ना सही नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि परिसीमन हर 25 साल में एक बार होता है, और इसे अन्य मुद्दों के साथ जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि जनसंख्या प्रबंधन एक अलग विषय है, जिस पर सभी को ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता देने की बात कही और सभी से जनसंख्या संतुलन बनाए रखने के लिए कदम उठाने की अपील की।
बुढ़ापे की समस्या और भारत की जनसंख्या नीति
मुख्यमंत्री नायडू ने विश्वभर में बढ़ती बुजुर्ग जनसंख्या का उदाहरण देते हुए जापान, चीन और यूरोपीय देशों में जनसंख्या चुनौतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि दक्षिण भारत में भी वृद्ध जनसंख्या की समस्या तेजी से बढ़ रही है, जबकि उत्तर भारत के कुछ राज्यों – बिहार और उत्तर प्रदेश में अभी भी जनसंख्या में वृद्धि हो रही है।
उन्होंने कहा, “पहले हम सोचते थे कि अधिक जनसंख्या नुकसानदायक है, लेकिन अब यह लाभकारी साबित हो सकती है। मैं भी पहले परिवार नियोजन को समर्थन देता था, लेकिन अब मैं अपने विचार बदल रहा हूं और जनसंख्या वृद्धि को बढ़ावा देने की आवश्यकता महसूस कर रहा हूं।”
तमिलनाडु में परिसीमन को लेकर उठी मांग
परिसीमन को लेकर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने भी हाल ही में एक प्रस्ताव रखा है। उन्होंने लोकसभा में परिसीमन के लिए एक संयुक्त कार्रवाई समिति गठित करने की मांग की है और 1971 की जनगणना को 2026 से अगले 30 वर्षों के लिए आधार बनाने की सिफारिश की है।
क्या है परिसीमन और इसका महत्व?
परिसीमन वह प्रक्रिया है जिसमें जनसंख्या के आधार पर चुनाव क्षेत्रों की सीमाएं तय की जाती हैं। यह प्रक्रिया प्रत्येक 25 वर्षों में एक बार की जाती है, ताकि विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में संतुलन और समानता बनी रहे।
निष्कर्ष
चंद्रबाबू नायडू का परिसीमन और जनसंख्या प्रबंधन को अलग-अलग मुद्दे मानना राष्ट्रीय विकास और नीति निर्माण के लिहाज से महत्वपूर्ण है। उनका मानना है कि भारत को एक संतुलित जनसंख्या नीति अपनानी होगी, ताकि वृद्धावस्था की बढ़ती समस्या से निपटा जा सके।
अब देखने वाली बात होगी कि भारत सरकार परिसीमन और जनसंख्या नीति को लेकर क्या कदम उठाती है और क्या तमिलनाडु की मांग पर कोई ठोस निर्णय लिया जाता है या नहीं।
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