जातिगत जनगणना: क्या है, कैसे होती है और क्या है इसका इतिहास और विवाद

जातिगत जनगणना: एक परिचय

जातिगत जनगणना एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें देश की जनसंख्या की जातिगत जानकारी इकट्ठा की जाती है। इसका उद्देश्य जातिगत असमानता को समझना और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देना है।

जातिगत जनगणना का इतिहास

जातिगत जनगणना का इतिहास भारत में 1931 से शुरू होता है, जब ब्रिटिश सरकार ने जातिगत जनगणना करवाई थी। इसके बाद, 2011 की जनगणना में भी जातिगत जानकारी इकट्ठा की गई थी, लेकिन इसे सार्वजनिक नहीं किया गया था।

जातिगत जनगणना की प्रक्रिया

जातिगत जनगणना की प्रक्रिया में घर-घर जाकर लोगों की जातिगत जानकारी इकट्ठा की जाती है। इसमें लोगों से उनकी जाति, धर्म, आय और अन्य सामाजिक और आर्थिक जानकारी पूछी जाती है।

जातिगत जनगणना से जुड़े विवाद

जातिगत जनगणना से जुड़े कई विवाद हैं। कुछ लोगों का मानना है कि जातिगत जनगणना से जातिगत भेदभाव बढ़ सकता है, जबकि अन्य लोगों का मानना है कि इससे सामाजिक न्याय को बढ़ावा मिलेगा।

निष्कर्ष

जातिगत जनगणना एक जटिल मुद्दा है, जिसमें कई पक्ष और विपक्ष हैं। इसके बावजूद, जातिगत जनगणना से हमें देश की जातिगत असमानता को समझने और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है।

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