बोडोलैंड में स्थायी शांति की ओर बढ़ता भारत: बोडो पीस अकॉर्ड की ऐतिहासिक सफलता
उत्तर-पूर्व भारत का बोडोलैंड क्षेत्र दशकों तक उग्रवाद और अस्थिरता का शिकार रहा, लेकिन हाल के वर्षों में स्थिति पूरी तरह बदल गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में बोडो पीस अकॉर्ड लागू किया गया, जिसने हिंसा के युग का अंत कर दिया। हाल ही में, गृह मंत्री अमित शाह ने ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन (ABSU) के 57वें वार्षिक सम्मेलन में भाग लिया और इस बदलाव की सराहना की।
बोडो पीस अकॉर्ड: एक ऐतिहासिक पहल
जनवरी 2020 में केंद्र सरकार ने असम सरकार और बोडो संगठनों के साथ बोडो पीस अकॉर्ड पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते के तहत:
- हिंसा का समापन – बोडोलैंड क्षेत्र में सक्रिय उग्रवादी संगठनों ने आत्मसमर्पण किया और हथियार डाल दिए।
- संस्कृति और भाषा का संरक्षण – बोडो भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए विशेष योजनाएं चलाई जा रही हैं।
- विकास परियोजनाएं – बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद (BTR) को अधिक स्वायत्तता और वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है।
- रोजगार के अवसर – युवाओं के लिए शिक्षा और रोजगार के नए अवसर पैदा किए जा रहे हैं।
बोडोलैंड में नई उम्मीदें
अमित शाह ने ABSU के सम्मेलन में कहा कि बोडो पीस अकॉर्ड को 100% लागू किया जाएगा, ताकि बोडो समुदाय के लोग अपने सपनों को पूरा कर सकें। इस समझौते ने बोडोलैंड में स्थायी शांति का मार्ग प्रशस्त किया है।
बोडोलैंड: शांति और विकास की मिसाल
बोडोलैंड में अब बंदूकों की जगह विकास और शांति की बातें हो रही हैं। सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाएं बोडो युवाओं को आगे बढ़ने का अवसर दे रही हैं। बोडो पीस अकॉर्ड न केवल उत्तर-पूर्व भारत बल्कि पूरे देश के लिए एक मिसाल बन चुका है।
निष्कर्ष
बोडोलैंड में जो परिवर्तन आया है, वह सरकार की दूरदर्शी नीति और स्थानीय लोगों के सहयोग का परिणाम है। बोडो पीस अकॉर्ड केवल एक समझौता नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है। यह उत्तर-पूर्व भारत के लिए शांति, एकता और विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।