हाल ही में समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने भाजपा की नीतियों पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने एक सोशल मीडिया पोस्ट में भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि पार्टी की नीतियाँ समाज में संकट और दूरियाँ पैदा कर रही हैं। उनके अनुसार, भाजपा ने कई निर्णय लिए हैं जो आम जनता के हित में नहीं हैं, बल्कि उन्हें परेशानी में डालते हैं।
अखिलेश यादव के आरोप
अखिलेश यादव ने अपनी पोस्ट में भाजपा की कुछ प्रमुख नीतियों की आलोचना की:
- एंगलो-इंडियन आरक्षण समाप्त करना – उन्होंने दावा किया कि भाजपा ने इस समुदाय के आरक्षण को समाप्त कर दिया, जिससे उनके अधिकार प्रभावित हुए हैं।
- किसानों के लिए काले कानून – किसान आंदोलन के दौरान कृषि कानूनों को लेकर जो विरोध हुआ, उसे अखिलेश यादव भाजपा की किसान विरोधी नीति मानते हैं।
- नोटबंदी से जनता को परेशानी – 2016 में लागू की गई नोटबंदी को अब भी विपक्ष विफल नीति मानता है, जिससे छोटे व्यापारी और आम जनता प्रभावित हुई।
- जीएसटी से छोटे व्यापारियों की परेशानी – छोटे दुकानदारों और कारोबारियों के लिए जीएसटी प्रणाली एक जटिल कर ढांचा साबित हुआ है, जिससे उनका व्यवसाय प्रभावित हुआ।
- धर्म और जाति की राजनीति – अखिलेश यादव का आरोप है कि भाजपा समाज में विभाजन पैदा करने के लिए धर्म और जाति आधारित राजनीति को बढ़ावा देती है।
- वक़्फ़ की सियासत – भाजपा पर वक़्फ़ संपत्तियों को लेकर राजनीति करने का आरोप भी लगाया गया है।
भाजपा की रणनीति: जनता के लिए या सत्ता के लिए?
अखिलेश यादव ने अपनी पोस्ट में यह भी कहा कि भाजपा अपने 5-10% कट्टर समर्थकों को खुश रखने की रणनीति बना रही है ताकि वे हर चुनाव में पार्टी का समर्थन करते रहें। इसके लिए सरकार उन फैसलों को प्राथमिकता दे रही है, जो इस वर्ग को संतुष्ट करें, भले ही इससे बाकी जनता प्रभावित हो।
जनता की राय क्या कहती है?
अब सवाल यह उठता है कि क्या भाजपा की नीतियाँ वाकई जनता के लिए हानिकारक हैं, या यह सिर्फ एक राजनीतिक बयानबाजी है? भाजपा समर्थक अक्सर कहते हैं कि उनकी सरकार ने डिजिटल इंडिया, आधारभूत संरचना, गरीबों के लिए योजनाएँ और भ्रष्टाचार पर नियंत्रण जैसी उपलब्धियाँ हासिल की हैं। वहीं, विपक्षी दल इसे सिर्फ चुनावी हथकंडा मानते हैं।
आपकी राय क्या है?
आपको क्या लगता है – भाजपा की नीतियाँ जनता के हित में हैं या अखिलेश यादव के आरोप सही हैं? अपनी राय नीचे कमेंट में साझा करें!