नमस्ते दोस्तों! स्वागत है ! आज हम बात करेंगे हिमेश रेशमिया की नई फिल्म “बैडास रवि कुमार” के बारे में, जिसने रिलीज़ होते ही सोशल मीडिया पर तूफान ला दिया है। कुछ लोग इसे 80 के दशक की मसाला फिल्मों का रीमेक कह रहे हैं, तो कुछ इसे आउटडेटेड और बेतुका। चलिए, देखते हैं आखिर क्या है इस फिल्म की कहानी, और क्यों बंटे हुए हैं लोग इसकी राय में!
रेट्रो एक्शन का तड़का (A Dash of Retro Action)


“बैडास रवि कुमार” को एक “रेट्रो एक्शन म्यूजिकल” फिल्म के रूप में प्रचारित किया गया है। ये फिल्म 80 के दशक के लार्जर-देन-लाइफ हीरो, मेलोड्रामेटिक डायलॉग्स और हाई-ऑक्टेन एक्शन सीन्स की याद दिलाती है। फिल्म की कहानी रवि कुमार के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपने स्वैग और अनोखे डायलॉग्स के साथ विलेन से मुकाबला करते हैं। फिल्म लाउड, ड्रामेटिक और भरपूर मसाले से भरी है, जो बॉलीवुड की पहचान है।
(Keyphrase: बैडास रवि कुमार (Badass Ravi Kumar)) (Keyphrase: हिमेश रेशमिया (Himesh Reshammiya))
दर्शकों का प्यार और उत्साह (Audience Love and Enthusiasm)
कुछ दर्शकों को फिल्म का 80 के दशक का स्टाइल बहुत पसंद आया। उन्हें पुराने ज़माने की फिल्में देखने जैसा मज़ा आया। सोशल मीडिया पर कई ऐसे ट्वीट्स देखने को मिले जिनमें फिल्म की जमकर तारीफ की गई है। एक यूजर ने तो इसे “फुल पैसा वसूल” तक कह दिया!
हिमेश रेशमिया का दमदार प्रदर्शन (Himesh Reshammiya’s Powerful Performance)
हिमेश रेशमिया की परफॉर्मेंस और म्यूजिक फिल्म का सबसे बड़ा आकर्षण हैं। उनकी अनोखी आवाज़ और ड्रामेटिक स्क्रीन प्रेजेंस रवि कुमार के किरदार में जान डाल देती है। उनके फैंस तो उनकी एक्टिंग के दीवाने हो गए हैं। गाने भी 80 के दशक के स्टाइल से प्रेरित हैं, जो फिल्म के नॉस्टैल्जिक अपील को और बढ़ाते हैं।
सहायक कलाकारों की भूमिका (The Role of Supporting Actors)
प्रभु देवा और कीर्ति कुल्हारी जैसे सपोर्टिंग कास्ट ने भी अच्छा काम किया है। उनकी परफॉर्मेंस ने फिल्म को और भी मज़बूत बनाया है।
मिली-जुली प्रतिक्रियाएं (Mixed Reactions)
लेकिन, “बैडास रवि कुमार” को सिर्फ तारीफें ही नहीं, आलोचनाएं भी मिली हैं। कुछ दर्शकों को फिल्म का लाउड और ओवर-द-टॉप स्टाइल ज़रूरत से ज़्यादा लगा। कुछ लोगों का कहना है कि फिल्म की कहानी कमजोर है और इसमें कुछ नयापन नहीं है।
कहानी में कमी और लेखन की आलोचना (Lack of Story and Criticism of Writing)
फिल्म की सबसे बड़ी कमज़ोरी इसकी कहानी और लेखन को बताया जा रहा है। कई लोगों का मानना है कि फिल्म सिर्फ नॉस्टैल्जिया के भरोसे है और इसमें कुछ नया नहीं है। कुछ ने तो इसे आउटडेटेड तक कह दिया।
अंतिम फैसला (Final Verdict)
कुल मिलाकर, “बैडास रवि कुमार” एक ऐसी फिल्म है जिसने दर्शकों को दो हिस्सों में बांट दिया है। कुछ लोगों को ये फिल्म 80 के दशक की मसाला फिल्मों की याद दिलाती है और उन्हें ये लाउड और ड्रामेटिक स्टाइल पसंद आ रहा है। वहीं, कुछ लोगों को ये फिल्म आउटडेटेड और कमजोर कहानी वाली लगी। अगर आप हिमेश रेशमिया के फैन हैं और 80 के दशक की मसाला फिल्में आपको पसंद हैं, तो शायद आपको ये फिल्म पसंद आए। लेकिन, अगर आप एक मजबूत कहानी और नएपन की तलाश में हैं, तो शायद ये फिल्म आपको निराश कर सकती है।
तो दोस्तों, आपको “बैडास रवि कुमार” कैसी लगी? कमेंट में ज़रूर बताएं! और अगर आपको ये खबर पसंद आया तो इसे लाइक और शेयर करना न भूलें। चैनल को सब्सक्राइब करें ताकि आपको और भी ऐसे ही रोमांचक बॉलीवुड खबर मिलते रहें। धन्यवाद!
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