महाकुंभ 2025 का आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ, जिसमें 66.3 करोड़ से ज़्यादा लोगों ने 45 दिनों में संगम में आस्था की डुबकी लगाई। यह एक विश्व रिकॉर्ड है, जहाँ एक आयोजन में इतनी बड़ी संख्या में लोग एक साथ आते हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ के समापन पर इस आयोजन के सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व के बारे में बताया और साथ ही इस दौरान हुई आर्थिक गतिविधियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि महाकुंभ वास्तव में एक वैश्विक आयोजन बन गया है।
लेकिन, इस आयोजन के बाद, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने महाकुंभ में हुई आर्थिक गतिविधियों पर मुख्यमंत्री योगी पर तंज कसा।
उप्र सरकार का दावा है कि महाकुंभ से उप्र की अर्थव्यवस्था में कई लाख करोड़ की कमाई हुई है।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) February 27, 2025
इस बात को सच मानते हुए माननीय मुख्यमंत्री जी से ये निवेदन है कि वो पुरातन परंपरा का निर्वहन करते हुए इस धन का कल्याणकारी सदुपयोग करें क्योंकि परंपरा कुंभ से धन कमाने की नहीं बल्कि अर्जित…
उन्होंने एक्स पर लिखा, “उत्तर प्रदेश सरकार का दावा है कि महाकुंभ से उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था में कई लाख करोड़ की कमाई हुई है।
इस बात को सच मानते हुए मुख्यमंत्री जी से ये निवेदन है कि वो पुरातन परंपरा का निर्वहन करते हुए इस धन का कल्याणकारी सदुपयोग करें क्योंकि परंपरा कुंभ से धन कमाने की नहीं बल्कि अर्जित धन को दान करने की रही है।”
अखिलेश यादव ने आगे लिखा कि इस अर्जित धन का उपयोग मृतकों के परिजनों को क्षतिपूर्ति देने, घायलों के इलाज के लिए, लापता लोगों को खोजने के लिए, मेले में घाटा उठाने वाले दुकानदारों को मुआवज़ा देने, मेला कर्मचारियों को बोनस देने और प्रयागराज के इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए दान करने में किया जाना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि कुछ धन “सत्य बोलने की प्रेरणा” देने वाले और “नैतिकता” सिखाने वाले किसी “आत्म सुधार” संस्थान के निर्माण के लिए दिया जाना चाहिए।
इसके अलावा, अखिलेश यादव ने उन मीडियाकर्मियों और कैमरामैनों को धन देने का सुझाव दिया जिन्होंने मुख्यमंत्री के कहने पर कैमरा वहाँ नहीं लगाया जहाँ महाकुंभ के गोरखधंधे के सच का भंडाफोड़ करती हुई सच्ची तस्वीरें थीं।
महाकुंभ मेले ने छोटे दुकानदारों को कमाई का बड़ा अवसर प्रदान किया। उन्होंने पूजा सामग्री, मूर्तियां, धागे, सिंदूर, चूड़ियां, साहित्य, सब्जियां, गोबर के कंडे, लकड़ी, बर्तन, कपड़े, कंबल, आदि बेचकर अपनी आजीविका अर्जित की।
महाकुंभ 2025 का आयोजन आस्था और राजनीति का एक संगम बन गया है, जहाँ धार्मिक अनुभूति के साथ-साथ राजनीतिक बयानबाजी भी देखने को मिली।
क्या आप अखिलेश यादव के बयानों से सहमत हैं? अपनी राय कमेंट बॉक्स में ज़रूर साझा करें।
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