प्रिय युवा साथियों,
आजकल कुछ लोग आपको 90 घंटे काम करने की सलाह दे रहे हैं। मुझे नहीं लगता कि वे इंसान की बात कर रहे हैं—कहीं वे आपको रोबोट समझने की भूल तो नहीं कर रहे? क्योंकि इंसान सिर्फ़ काम करने के लिए नहीं बना है, वह अपने परिवार, समाज और खुशियों के साथ संतुलित जीवन जीने के लिए बना है।


आर्थिक प्रगति का लाभ सभी को मिले, सिर्फ़ कुछ को नहीं!
जब देश की अर्थव्यवस्था का लाभ कुछ गिने-चुने अमीरों को ही मिल रहा है, तो आम जनता और मेहनतकश युवाओं के लिए इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि इकोनॉमी 30 ट्रिलियन डॉलर की हो या 100 ट्रिलियन की। असली आर्थिक न्याय तो तब होगा जब हर नागरिक को उसकी मेहनत का पूरा फल मिले।
लेकिन, भाजपा सरकार में यह संभव ही नहीं है।
क्या वे भूल गए कि मनोरंजन और मानसिक स्वास्थ्य भी ज़रूरी है?
🎭 मनोरंजन और फिल्म उद्योग भी अरबों की इकोनॉमी में योगदान देते हैं।
🔹 यह युवाओं को रिफ्रेश, रिवाइव और री-एनर्जाइज़ करता है, जिससे वे बेहतर काम कर पाते हैं।
🔹 बिना ब्रेक के लगातार काम करने से तनाव, डिप्रेशन और बर्नआउट का खतरा बढ़ जाता है।
🔹 क्या सिर्फ़ काम ही ज़िंदगी है?
काम के घंटों से ज़्यादा ज़रूरी है काम की गुणवत्ता
💡 सच्चाई यह है कि 90 घंटे काम करने से ज़्यादा ज़रूरी यह है कि आप दिल लगाकर काम करें।
👉 क्या जो लोग आज 90 घंटे काम करने की सलाह दे रहे हैं, उन्होंने अपने युवा दिनों में इतना काम किया था?
👉 अगर किया भी था, तो हमारी इकोनॉमी आज इतनी पीछे क्यों है?
👉 असलियत यह है कि आपकी मेहनत का सबसे बड़ा फायदा वही लोग उठा रहे हैं, जो आपको यह सलाह दे रहे हैं।
वर्क-लाइफ बैलेंस ही सफलता की कुंजी है
✅ मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए काम और निजी जीवन का संतुलन बेहद ज़रूरी है।
✅ एक संतुलित जीवन जीकर ही आप अपने काम में प्रोडक्टिव हो सकते हैं।
✅ देश की प्रगति तभी संभव है, जब युवाओं को उनके अधिकार मिलें।
भ्रष्टाचार कम करें, फिर देखें इकोनॉमी खुद ही कैसे बढ़ती है!
अगर भाजपा सरकार का भ्रष्टाचार आधा भी कम हो जाए, तो अर्थव्यवस्था अपने आप दोगुनी हो जाएगी।
👉 जिस नाव में छेद हो, उसे तैरने की सलाह देने का कोई फायदा नहीं।
👉 युवाओं को अब बेवजह की सलाह नहीं, बल्कि अपने अधिकारों की लड़ाई लड़नी होगी।
अब सवाल आपका है—क्या आप 90 घंटे काम करने की गुलामी स्वीकार करेंगे?
इसका जवाब सिर्फ़ आप दे सकते हैं। मेहनत करें, लेकिन अपने अधिकारों के लिए भी खड़े हों!
आपका साथी,
अखिलेश यादव
अब आपका क्या विचार है?
क्या आप मानते हैं कि 90 घंटे काम करने से देश और युवा दोनों का भविष्य उज्ज्वल होगा, या यह सिर्फ़ एक और दिखावटी सलाह है?
👉 क्या वर्क-लाइफ बैलेंस ज़रूरी है, या सिर्फ़ अनगिनत घंटे काम करना ही सफलता की कुंजी है?
👉 क्या आर्थिक प्रगति का लाभ सभी को मिलना चाहिए, या सिर्फ़ कुछ अमीरों को?
👉 आपका अनुभव क्या कहता है—क्या ज़रूरत से ज़्यादा काम करने से सच में सफलता मिलती है?
अपने विचार नीचे कमेंट करें और इस बहस का हिस्सा बनें! युवाओं की आवाज़ सबसे ज़्यादा मायने रखती है। 🚩
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