फ़िलिस्तीनियों का पलायन: गाजा में मानवीय संकट और राजनीतिक दांवपेच

गाजा पट्टी के भविष्य को लेकर एक बार फिर बहस छिड़ गई है। इज़राइल के रक्षा मंत्री ने सेना को फ़िलिस्तीनियों के गाजा से “स्वैच्छिक” प्रस्थान की योजना तैयार करने का आदेश दिया है। यह आदेश अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के उस सुझाव के बाद आया है जिसमें उन्होंने अमेरिका को गाजा का नियंत्रण लेने और वहाँ के निवासियों को अन्य देशों में बसाने की बात कही थी। ट्रम्प के इस प्रस्ताव ने न केवल फ़िलिस्तीनियों के बीच बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी आक्रोश पैदा कर दिया है।

क्या है योजना?

इज़राइल के रक्षा मंत्री का आदेश फ़िलिस्तीनियों को गाजा छोड़ने की “अनुमति” देने की योजना बनाने पर केंद्रित है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि यह प्रक्रिया कैसे “स्वैच्छिक” होगी, खासकर गाजा की वर्तमान स्थिति को देखते हुए। गाजा पट्टी एक घनी आबादी वाला क्षेत्र है जो सालों से इज़राइल द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के तहत है। यहाँ बेरोज़गारी, गरीबी और मानवीय संकट गहराता जा रहा है।

Source: Internet

प्रतिक्रियाएं:

ट्रम्प के सुझाव और इज़राइल के आदेश पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं:

  • हमास: हमास ने इसे गाजा पर “कब्ज़ा करने का इरादा” बताया है।
  • मिस्र: मिस्र ने इस योजना का कड़ा विरोध किया है और फ़िलिस्तीनियों को सीमा पार ले जाने के किसी भी प्रयास को रोकने के लिए राजनयिक प्रयास शुरू कर दिए हैं। मिस्र का तर्क है कि यह योजना दशकों पुराने शांति समझौते को खतरे में डालती है।
  • इज़राइल: इज़राइल के भीतर, ट्रम्प की टिप्पणियों पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं हैं। धुर दक्षिणपंथी इसका समर्थन कर रहे हैं, जबकि कुछ राजनेताओं और नागरिकों ने इस योजना की आलोचना की है। एक सर्वेक्षण के अनुसार, 80% यहूदी इज़राइली गाजा से फ़िलिस्तीनियों के “स्थानांतरण” का समर्थन करते हैं, लेकिन केवल आधे ही इसे व्यावहारिक मानते हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय समुदाय: संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने चेतावनी दी है कि “किसी भी प्रकार की जातीय सफाई” से बचना आवश्यक है। अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत जबरन या ज़बरदस्ती विस्थापन मानवता के खिलाफ एक अपराध है।

चुनौतियां:

इस योजना के सामने कई चुनौतियां हैं:

  • कोई देश शरण देने को तैयार नहीं: किसी भी देश ने फ़िलिस्तीनियों को शरण देने की पेशकश नहीं की है।
  • गाजा की मानवीय स्थिति: गाजा में पहले से ही मानवीय संकट गहरा रहा है। ऐसे में लोगों को “स्वैच्छिक” रूप से जाने के लिए मजबूर करना अनैतिक होगा।
  • ऐतिहासिक संदर्भ: फ़िलिस्तीनियों के लिए यह मुद्दा बेहद संवेदनशील है। उन्हें 1948 के नकाबा की दर्दनाक स्मृतियाँ हैं, जिसमें लगभग 700,000 फ़िलिस्तीनियों को उनके घरों से भागने या उन्हें निकाल दिया गया था।

आगे क्या होगा?

यह योजना कितनी सफल होती है, यह कहना मुश्किल है। लेकिन, एक बात तय है कि यह मुद्दा बेहद जटिल है और इस पर आगे भी बहस जारी रहेगी।

आपकी राय?

आप क्या सोचते हैं? क्या फ़िलिस्तीनियों का गाजा से “स्वैच्छिक” निष्कासन एक सही समाधान है? अपनी राय हमें कमेंट में बताएं।


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